एक फूल की चाह, Class 9, Ek Phool Ki Chah
प्रश्न-अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है–
(i) सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।
उत्तर) नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर।
मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे।
(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।
उत्तर) ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाल।
(iii) पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मनःस्थिति।
उत्तर) भूल गया उसका लेना झट,
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा, -बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दें जाकरे मैं।
(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।
उत्तर) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी!
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हा!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा!
(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
उत्तर) बीमार बच्ची सुखिया ने अपने पिता के सामने यह इच्छा प्रकट की कि उसे देवी माँ के मंदिर के प्रसाद का फूल चाहिए।
(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?
उत्तर) सुखिया के पिता समाज के उस वर्ग से संबंधित थे , जिसे अछूत माना जाता था। समाज के कुलीन लोगों ने इस वर्ग के लोगों का मंदिर में प्रवेश वर्जित कर रखा था। सुखिया का पिता अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर में चले गए । मंदिर की पवित्रता नष्ट करने और देवी का अपमान करने का उनपर आरोप लगाकर उच्च कूल के
लोगों ने उन्हें उसे सात दिन का कारावास देकर दंडित किया था ।
(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?
उत्तर) जेल से छूटने के बाद जब सुखिया के पिता घर पहुंचे उन्होंने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया। सुखिया की मृत्यु हो गई थी। अतः उसके रिश्तेदारों ने उसका दाह संस्कार कर दिया था।
(ङ) इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर) इस कविता का केंद्रीय भाव यह है:—-
‘एक फूल की चाह’ कविता में कवि ने समाज में फैले वर्ग-भेद, ऊँच-नीच और छुआछूत की समस्या को केंद्र में रखा है। समाज दो वर्गों में बँटा हुआ है-एक तथाकथित कुलीन एवं उच्चवर्ग, तथा दूसरा अछूत समझा जाने वाला निम्न वर्ग। इसी अछूत वर्ग की एक बेटी सुखिया जो की महामारी का शिकार होकर बुखार से तपती अवस्था में अर्ध बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाती है। वह अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल लाने के लिए कहती है।
(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए–
उदाहरणः अंधकार की छाया
(i) .....कितना बड़ा तिमिर आया।.........
(ii) .....हाय! फूल-सी कोमल बच्ची |......
(iii) .......हुई राख की थी ढेरी ।............
(iv) .......स्वर्ण घनों में कब रवि डूबा.........
(v) ......झुलसी-सी जाती थी आँखें।........
2. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए–
(क) अविश्रांत बरसा करके भी
आँखें तनिक नहीं रीतीं
उत्तर) प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि :—- सुखिया के पिता को मंदिर की पवित्रता नष्ट करने और देवी को अपमानित करने के जुर्म में सात दिन का कारावास मिला। इससे उसे बहुत दुख हुआ। अपनी मरणासन्न पुत्री सुखिया को यादकर वह अपना दुख आँसुओं के माध्यम से प्रकट कर रहा था। अपनी बेटी को याद करते हुए सात दिनों तक रोते रहने से भी उसका दुख जरा भी कम न हुआ ।
कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि बादलों के एक-दो दिन बरसने से ही उनका जल समाप्त हो जाता है और फिर वे काफी समय तक नहीं दिखाई देते । सुखिया के पिता की आँखों से सात दिन तक आँसू बहते रहे फिर भी आँखें खाली नहीं हुईं । अर्थात् बेटी के लिए उनके हृदय का दुख कम ना हुआ।
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी
उत्तर) प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि :—-जब सुखिया का पिता जेल से छूटते हीं श्मशान में गए । उन्होंने देखा कि वहाँ उनकी बेटी की जगह राख की ढेरी पड़ी थी। उनके बेटी की चिता ठंडी हो चुकी थी।
कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं
कि :— इन पंक्तियों में करुणा के भाव साकार हो उठे हैं । चिता का बुझना और उसे देखकर पिता की छाती का धधकना (जलना) दो मार्मिक दृश्य हैं। ये पाठक को द्रवित करने की क्षमता रखते हैं।
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर
उत्तर) प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि :— सुखिया का पिता अपनी मरणासन्न पुत्री को देखकर सोच रहे थे कि सुखिया, जो दिन भर खेलती-कूदती और यहाँ-वहाँ भटकती रहती थी अब बीमारी के कारण शिथिल और लंबी शांति धारण कर लेटी पड़ी है।
कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि :— तेज़ बुखार ने सुखिया को एकदम अशक्त बना दिया है। वह बोल भी नहीं पा रही है। सुखिया को उसकी शांति अटल अर्थात् स्थायी लग रही है अब वह शायद ही बोल सके।
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी
उत्तर) प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि :— उच्च कूल में जन्में भक्तों ने सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता नष्ट करने का भीषण आरोप लगाया है। सियारामशरण गुप्त ने कहा कि -सुखिया का पिता पापी है। यह अछूत है। इसने मंदिर में घुसकर भीषण पाप किया है। इसके अंदर आने से मंदिर की पवित्रता नष्ट हो गई है।
कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने तिरस्कार और धिक्कार की भावना को प्रकट करने का चरमोत्कर्ष प्रयास किया है जो कि पद्य के इस अंश को सुंदर बना रहा है। ‘पापी’ और ‘बड़ा भारी अनर्थ’ शब्द तिरस्कार प्रकट करने में पूर्णतया समर्थ हैं।
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