पत्र लेखन Patra Lekhan
पत्र-लेखन एक कौशल है, जिसके माध्यम से सहजतया अपने मनोभावों को दूसरों तक लिखकर पहुंचाया जाता है। पत्रों के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी बातों को लिखकर दूसरों तक पहुँचा सकता है। जिन बातों को लोग कहने में हिचकिचाते या डरते हैं, उन बातों को पत्रों के माध्यम से आसानी से समझाया या कहा जा सकता है।
इसलिए पत्र लिखते समय पत्र में सहज, सरल तथा सामान्य बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पत्र को प्राप्त करने वाला पत्र में व्यक्त भावों को अच्छी प्रकार से जान और समझ सके।
मुख्य रूप से पत्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
(1) औपचारिक-पत्र
(2) अनौपचारिक-पत्र
औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों में अंतर- (Difference between formal and informal letter)
औपचारिक पत्र (formal letter) –
औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधीत , प्रधानाचार्य को लिखे गए प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टता से पूर्ण होती है।कम से कम वाक्यों में अपनी भावनाओं, समस्याओं या बातों को लिखना चाहिए। औपचारिक पत्र लेखन में मुख्य रूप से संदेश, सूचना एवं तथ्यों को ही अधिक महत्व दिया जाता है। इसमें संक्षिप्तता अर्थात कम शब्दों में केवल काम की बात करना, स्पष्टता अर्थात पत्र प्राप्त करने वालों को बात आसानी से समझ आये ऐसी भाषा का प्रयोग तथा स्वतः पूर्णता अर्थात पूरी बात एक ही पत्र में कहने की अपेक्षा (उम्मीद) की जाती है।
अनौपचारिक पत्र (informal letter) –
अनौपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। अनौपचारिक पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे:- माता-पिता, भाई-बहन, सगे-सम्बन्धिओं और मित्रों को उनका हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में अपनापन नजर आता है।इन पत्रों में शब्दों या वाक्यों की कोई सीमा नहीं होती क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी समावेश होता है। परन्तु परीक्षा के दृष्टिकोण से इन पत्रों में भी सिर्फ दिए गए प्रश्न को ध्यान में रखते हुए बातों को लिखना चाहिए।
औपचारिक-पत्र के प्रकार
औपचारिक-पत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) प्रार्थना-पत्र – जिन पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे ‘प्रार्थना-पत्र’ कहलाते हैं। प्रार्थना पत्र में अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन आदि के लिए लिखे गए पत्र आते हैं। ये पत्र स्कुल के प्रधानाचार्य से लेकर किसी सरकारी विभाग के अधिकारी को भी लिखे जा सकते हैं।
(2) कार्यालयी-पत्र – जो पत्र कार्यालयी काम-काज के लिए लिखे जाते हैं, वे ‘कार्यालयी-पत्र’ कहलाते हैं। ये सरकारी अफसरों या अधिकारियों, स्कूल और कॉलेज के प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यों को लिखे जाते हैं। इन पत्रों में डाक अधीक्षक, समाचार पत्र के सम्पादक, परिवहन विभाग, थाना प्रभारी, स्कूल प्रधानाचार्य आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
(3) व्यवसायिक-पत्र – व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें ‘व्यवसायिक-पत्र’ कहते हैं। इन पत्रों में दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
औपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें –
(i) औपचारिक-पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं।
(ii) इस प्रकार के पत्रों में भाषा का प्रयोग ध्यानपूर्वक किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशल-मंगल समाचार आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।
(iii) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
(iv) पत्र की भाषा-सरल, लेख-स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
(v) यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पता के स्थान पर) तथा क० ख० ग० (अपने नाम के स्थान पर) लिखना चाहिए।
(vi) पत्र पृष्ठ के बाई ओर से हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।
(vii) पत्र को एक पृष्ठ में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता/लयबद्धता बनी रहे।
(viii) प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।
औपचारिक-पत्र (प्रारूप) के निम्नलिखित सात अंग होते हैं –
(1) ‘सेवा में’ लिख कर, पत्र प्रापक का पदनाम तथा पता लिख कर पत्र की शुरुआत करें।
(2) विषय – जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
(3) संबोधन – जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/महोदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।
(4) विषय-वस्तु– इसे दो अनुच्छेदों में लिखना चाहिए-
पहला अनुच्छेद – "सविनय निवेदन यह है कि" से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपनी समस्या के बारे में लिखें।
दूसरा अनुच्छेद – "आपसे विनम्र निवेदन है कि" लिख कर आप उनसे क्या अपेक्षा (उम्मीद) रखते हैं, उसे लिखें।
(5) हस्ताक्षर व नाम– धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीया, प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
(6) प्रेषक का पता– शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड आदि।
(7) दिनांक।
औपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-
प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द) – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि।
अभिवादन – औपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका, शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।
औपचारिक-पत्र के उदाहरण –
प्रधानाचार्य को लिखे गए प्रार्थना-पत्र का प्रारूप-
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
विद्यालय का नाम व पता………….
विषय- (पत्र लिखने के कारण)।
महोदय जी,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
आपका आज्ञाकारी/आज्ञाकारिणी शिष्य/शिष्या,
क० ख० ग०
कक्षा………………….
दिनांक ………………….
Example – उदाहरण:
दीदी या बहन की शादी पर अवकाश के लिए आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र।
सेवा में,
प्रधानाचार्य मोहदय,
डी.ए.वी. स्कूल,
रामनगर (दिल्ली)
विषय – बहन की शादी के लिए अवकाश प्रदान हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा 9वीं का छात्र हूँ। मेरे घर में मेरी बहन की शादी है। जिसकी दिनांक 13/08/2021 को निश्चित हुई है, अतः बहन की शादी और घर में होने वाले कार्यक्रम एवं घर के कार्यों में हाथ बटाने के लिए मुझे दिनांक 09/08/2021 से 14/08/2021 तक का अवकाश चाहिए।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे अवकाश प्रदान करने की कृपा करें, इसके लिए मैं आपका आभारी रहुँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नाम – विवेक अग्रवाल
कक्षा – 9वीं
रोल नंबर – 45
दिनांक – 08/08/2021
कार्यालयी-पत्र का प्रारूप–
सेवा में,
प्रबंधक/अध्यक्ष (प्रश्नानुसार),
कार्यालय का नाम व पता………….
दिनांक………….
विषय- (पत्र लिखने के कारण)।
महोदय,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
समाप्ति (धन्यवाद/आभार)
भवदीय/भवदीया
(नाम,पता,फोन नम्बर)
Example – उदाहरण:
बस में यात्रा करते हुए आपका एक बैग छूट गया था जिसमें जरूरी कागज और रुपये थे। उसे बस कंडक्टर ने आपके घर आकर लौटा दिया। उसकी प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
सेवा में,
अध्यक्ष,
महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम,
अमरावती ।
दिनांक- 15 अगस्त , 2021
विषय – बस में छूटे बैग का वापस मिलना।
महोदय,
कल दिनांक 14 अगस्त, 2021 को मैं अमरावती से नागपुर के लिए अमरावती बस स्टैण्ड से वातानुकूलित (एयर कंडीशनिंग) बस पकड़ी थी। नागपुर पहुंचकर मैं बस से उतर गया। मेरी ख़ुशी की उस समय कोई सीमा ना रही जब तीन घंटे के बाद बस के कंडक्टर श्री मनोहर किशोर मेरे घर का पता पूछते हुए मेरे बैग के साथ मेरे घर पहुँच गये। तब तक मुझे यह ज्ञात ही नहीं था कि मैं अपना जरुरी बैग बस में ही भूल आया था। इस बैग में मेरे बहुत जरूरी कागज, कुछ रुपये और भारत सरकार द्वारा ज़ारी आधार कार्ड था। उसी पर लिखे पते के कारण कंडक्टर श्री मनोहर किशोर मेरे घर को ढुढते आ गए थे । मुझे कंडक्टर का यह व्यवहार बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय लगा। उनकी ईमानदारी से प्रभावित हो कर मैं उन्हें कुछ ईनाम देना चाहता था परन्तु उन्होंने यह कह कर ताल दिया कि यह तो उनका कर्तव्य था।
मैं चाहता हूँ कि इस तरह के ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिससे दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें। मैं कंडक्टर श्री मनोहर किशोर का फिर से आभार व्यक्त करता हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
रत्नाकर बुजे
108/3 फ्रेंड्स कॉलोनी,
नागपुर ।
दूरभाष – xxxxxxxxxx
उदाहरण 3.
कक्षा नवी से बारहवीं तक पाठ्यक्रम में कटौती हेतु दिए गए दिशा-निर्देशों के लिए शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
सेवा में ,
शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्रालय , महात्मा गांधी रोड
रायपुर (छत्तीसगढ़ )
दिनांक :XX मार्च 2XXX
विषय : नौवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव के संदर्भ में।
श्रीमान,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं केंद्रीय विद्यालय, रायपुर में नवमीं कक्षा का छात्र हूं। महोदय , आप के द्वारा दिए गये दिशा निर्देशों के अनुसार कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए गए हैं जिसकी जानकारी मुझे नहीं है। मैं अपने नए पाठ्यक्रम को जानने के लिए काफी उत्सुक हूं।और उसी के हिसाब से अपनी आगे की पढ़ाई करना चाहता हूं।
अतः महोदय से विनम्र निवेदन है कि मुझे और मेरी कक्षा के अन्य बच्चों को अतिशीघ्र नए पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग., रायपुर
उदाहरण 4.
आपका नाम शिप्रा है और आप केंद्रीय विद्यालय की छात्रा है। आपके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। अतः आप छात्रवृत्ति के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखें।
परीक्षा भवन
सेवा में ,
प्रधानाचार्य ,
केंद्रीय विद्यालय ,
महात्मा गांधी रोड , रायपुर
दिनांक : XX जुलाई XX21
विषय : छात्रवृत्ति हेतु प्रार्थना पत्र
श्रीमान ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 9 में पढ़ती हूं। महोदय मैं पहली कक्षा से ही हमेशा स्कूल में प्रथम आती रही हूं। इसके अलावा में स्कूल के अनेक कार्यक्रमों जैसे खेल-कूद , वाद-विवाद , भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भी मैंने कई बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है।महोदय विगत कुछ वर्षों से मेरे पिता का स्वास्थ्य खराब होने के कारण वो कारोबार में सही ढंग से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। जिस वजह से हमारे घर की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। अब हालात यह हैं कि वो मेरी पढ़ाई का खर्चा उठाने में भी असमर्थ हो गये हैं।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें। अन्यथा मेरा स्कूल व पढ़ाई दोनों ही छूट जाएंगी जिससे मेरा भविष्य अंधकार में हो जाएगा। आशा है आप मेरी इस प्रार्थना पर गंभीरता से विचार करेंगे।और मुझे निराश नही करेंगे।
धन्यवाद
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
शिप्रा कुजुर
कक्षा :- 9 'स'
रौल नं०:- 36
उदाहरण 5.
विद्यालय में अधिक खेल सामग्री मंगवाने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
सेवा में ,
प्रधानाचार्य ,
केंद्रीय विद्यालय रायपुर ,
छत्तीसगढ़
दिनांक : XX जुलाई XXXX
विषय :खेल सामग्री मगांने हेतु
श्रीमान ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि हमारी क्रिकेट टीम अगले महीने होने वाले जिला स्तरीय क्रिकेट मैच में भाग लेने जा रही है। और हमारा पूरा प्रयास यह है कि जिला स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में हमारी टीम प्रथम स्थान प्राप्त करें। लेकिन महोदय हमारे खिलाड़ियों के पास क्रिकेट से संबंधित पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं है जिस कारण हम प्रतियोगिता के लिए अच्छी तरह से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
अतः महोदय से निवेदन है कि जितनी जल्दी संभव हो , हमें खेल सामग्री उपलब्ध कराने की कृपा करें। ताकि हम इस जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने स्कूल को गौरवानित कर सकें ।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
उदाहरण 6.
पुस्तके मंगवाने हेतु पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखें।
परीक्षा भवन
प्रकाशक ,
पुस्तक भवन , वाराणसी , यूपी
दिनांक : 25 अगस्त 2021
विषय :पुस्तके मंगवाने हेतु प्रार्थना पत्र
मान्यवर ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आर्मी पब्लिक स्कूल , राँची, में कक्षा नौ का छात्र हूं और मुझे आपके द्वारा प्रकाशित कुछ पुस्तकों के नवीनतम संस्करण की शीघ्र आवश्यकता है।पुस्तकों के नाम इस प्रकार हैं।
हिंदी व्याकरण भाग 2
विज्ञान कक्षा – 9 (NCERT )
गणित कक्षा -9 (NCERT )
हिंदी व्याकरण भाग 1 -9 (NCERT )
मान्यवर , मैं इन सभी पुस्तकों का मूल्य आपको बैंक ड्राफ्ट के द्वारा भेज रहा हूं। अतः इन पुस्तकों को आप अति शीघ्र कूरियर के माध्यम से भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
महात्मा गांधी रोड, रांची 564321
उदाहरण 7 .
छात्राओं के लिए स्कूल में अलग शौचालय की व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखें।
परीक्षा भवन
प्रधानाचार्य ,
महात्मा गांधी सरकारी विद्यालय,
सुभाष मार्ग , जबलपुर , मध्य प्रदेश
दिनांक : 28 सितंबर 2020
विषय : छात्राओं के लिए स्कूल में अलग शौचालय की व्यवस्था हेतु
महोदय ,
मैं आपके स्कूल में कक्षा दसवीं की छात्रा हूं। महोदय हमारे स्कूल में छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है। और स्कूल में छात्राओं के लिए अलग से शौचालयों की व्यवस्था नहीं है।स्कूल में सिर्फ दो शौचालय हैं जिनको छात्र और छात्राएं दोनों ही इस्तेमाल करते हैं। जिस कारण कई बार छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अतः महोदय से विनम्र निवेदन है कि वह स्कूल में छात्राओं के लिए दो अलग से शौचालय को बनवाने की कृपा करें। ताकि छात्रायें आये दिन होने वाली परेशानियों से बच सकें। मुझे पूर्ण आशा है कि शीघ्र ही स्कूल की छात्राओं को अलग से शौचालय मिल जाएंगे।
धन्यवाद
आपकी आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
उदाहरण 8.
शहर में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
सेवा में ,
पुलिस अधीक्षक ,
सुल्तानपुर , मध्यप्रदेश
दिनांक : XXमई 20XX
विषय : महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने हेतु।
महोदय ,
सविनय निवेदन यह है कि हमारे शहर सुल्तानपुर में लगातार असामाजिक तत्वों के द्वारा महिलाओं के साथ छेड़छाड़ , लूटपाट और गाली गलौज की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इन असामाजिक तत्वों को अब पुलिस प्रशासन का भी डर नहीं रहा है। वो खुलेआम महिलाओं के साथ छेड़छाड़ व अभद्र व्यवहार करते हैं जिस कारण महिलाओं का बाजार या शहर में निकलना कठिन हो गया है।अब महिलायें जरूरी कामों के लिए भी घर से बाहर निकलने से कतरा रही हैं।
अतः महोदय से सविनय निवेदन है कि इन असामाजिक तत्वों पर लगाम लगाने के लिए कठोर से कठोर कार्रवाई करें तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाएं। ताकि महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। और घर से बाहर निकल कर अपने जरूरी काम निपटा सकें।
धन्यवाद।
क.ख.ग.,
सुल्तानपुर (मध्य प्रदेश )
उदाहरण 9.
कोविड-19 के कारण सरकार द्वारा घोषित किए गए लाॅक डाउन पर जरूरतमंदों की सहायता करने की अनुमति हेतु थानाध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
सेवा में ,
थाना अध्यक्ष ,
सीतामढ़ी
दिनांक : XX मार्च XX20
विषय : जरूरतमंद की सहायता हेतु अनुमति।
महोदय ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि कोविड-19 के कारण सरकार ने 25 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया है। अचानक हुए इस लॉकडाउन की वजह से शहर में कई गरीब व मजदूर लोगों के पास दो वक्त का खाना भी उपलब्ध नहीं है। जिस कारण वो और उनका परिवार भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। इन परिवारों में छोटे-छोटे बच्चे भी हैं जो भूख के कारण बिलख रहे हैं।
महोदय , हमारी संस्था “जागरूक दुनिया” समूह ऐसे जरूरतमंद लोगों को खाना और जरूरी सहायता पहुंचाना चाहती हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से हम उन जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।इसीलिए आपसे विनती है कि आप हमें उन जरूरतमंदों को भोजन , पानी और अन्य जरूरी सहायता पहुंचाने की विशेष अनुमति प्रदान करें। ताकि उनकी बुनियादी जरूरत पूरी हो सके। उम्मीद है आप हमारे इस निवेदन को स्वीकार करेंगे और हमें उन लोगों की सेवा का मौका देंगे।
धन्यवाद।
क.ख.ग.
जागरूक दुनिया
महिला समूह
सीतामढ़ी
उदाहरण 10.
अस्पताल में फैली अव्यवस्था पर अस्पताल प्रबंधक को एक पत्र लिखें।
परीक्षा भवन
सेवा में
अस्पताल प्रबंधन
डाॅ भीमराव अस्पताल , पटनीपुर
दिनांक : XX मार्च XX21
विषय – अस्पताल में फैली अव्यवस्था के संदर्भ में।
महोदय ,
मैं आपका ध्यान आपके अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं की ओर दिलाना चाहता हूं। महोदय मेरे पिताजी पिछले एक सप्ताह से निमोनिया से ग्रसित होने के कारण आपके अस्पताल में भर्ती हैं। और मैं अपने पिता की देखभाल के लिए उनके साथ इस अस्पताल में ठहरा हूं।
महोदय आपका अस्पताल शहर के नामी अस्पतालों में से एक है। लेकिन अस्पताल की व्यवस्था बिल्कुल भी ठीक नहीं है। कर्मचारियों व नर्सों का व्यवहार मरीजों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ऊपर से आए दिन अस्पताल के कर्मचारी किसी ने किसी मरीज के साथ दुर्व्यवहार करते हुए नजर आ ही जाते हैं। अस्पताल में साफ सफाई की भी उचित व्यवस्था नहीं है। हर रोज साफ सफाई अस्पताल में जरूरी है लेकिन आपके अस्पताल में हर रोज ना साफ सफाई होती हैं और न ही बिस्तरों की चादरें बदली जाती हैं। अस्पताल का शहर में जितना बड़ा नाम है अस्पताल में आने के बाद “ऊंची दुकान , फीका पकवान ” कहावत याद आने लगती हैं।
अतः महोदय आप अपने अस्पताल की व्यवस्था में अवश्य ध्यान दीजिए। कर्मचारियों का व्यवहार मरीजों के प्रति विनम्र व सहानभूतिपूर्ण रहे। यह सुनिश्चित करिए। अस्पताल में नियमित साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से चलें। ताकि अस्पताल ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा कर सके और मरीज स्वस्थ व खुश होकर घर जा सके।
धन्यवाद।
क.ख.ग.
अनौपचारिक पत्रों के प्रकार :—
अनौपचारिक पत्र के भाग
1)प्रेषक का पता :-अनौपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाता है। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।
2)तिथि:-दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।
3)सम्बोधन तिथि के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसे सम्बोधित किया जाता है। सम्बोधन का अर्थ है किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द। सम्बोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
4)अभिवादन सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है।
5)विषय-वस्तु अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक सम्भव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
6)स्वनिर्देश/अभिनिवेदन इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
7)हस्ताक्षर पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
कार्ड या लिफाफे पर पता लिखना
इसके अतिरिक्त पता लिखना भी पत्र का आवश्यक भाग होता है। पत्र पाने वाले (प्रेषिती) का पता, कार्ड या लिफाफे पर इस प्रकार लिखा जाता है-
सबसे पहले प्रेषिती का नाम, दूसरी पंक्ति में मकान संख्या, गली-मुहल्ला आदि, तीसरी पंक्ति में गाँव, शहर और डाकघर का नाम लिखा जाता है। अन्तिम पंक्ति में जिले और राज्य का उल्लेख रहता है।
जैसे-
श्री सीयाराम गुप्ता
ग्राम - गुरुपुर – 18- महात्मा नगर
पोस्ट-होटवार – सीतामढ़ी (म.प्र.)
जिला-सीतामढ़ी (मध्य प्रदेश) – पिन-256107
अनौपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण :-
उदाहरण 1)
पिता द्वारा पुत्र को
छात्रावास में पढ़ रहे पिता द्वारा मनीऑर्डर भेजे जाने हेतु एक पत्र लिखिए।
मनीष नगर ,
अमरावती ।
दिनांक 18-8-20xx
प्रिय बेटा अतुल ,
ढेरों आशीर्वाद ।
यहाँ सब कुशल पूर्वक हैं, आशा है तुम भी सकुशल होगे। आज ही तुम्हारा पत्र मिला मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी मौखिक परीक्षा हो गई हैं और अगले सप्ताह से लिखित परीक्षा शुरु होने वाली है। खूब मन लगाकर पढ़ाई करना और पढ़ाई के साथ-साथ अपने खानपान, सेहत का ख्याल रखना। मैंने आज ही ₹ 1000 का मनीऑर्डर तुम्हारे नाम भेज दिया है। आशा है पत्र के साथ वह भी मिल जाएगा। इन पैसों का सदुपयोग ही करना। तुम्हारी माताजी ने तुम्हारे लिए प्यार और भाई-बहनों ने नमस्ते कहा है।
तुम्हारा पिता
उदाहरण 2)
मित्र को आमन्त्रण पत्र
काव्य गोष्ठी में आमन्त्रित किए जाने पर मित्र को धन्यवाद प्रकट करते हुए एक पत्र लिखिए
महात्मा नगर,
रायपुर ।
दिनांक 9-8-20xx
प्रिय मित्र प्रकाश जी,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र प्राप्त हुआ। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आप अपने निवास स्थान पर कवि गोष्ठी कराने जा रहे हैं। मैं वहाँ अवश्य ही आऊँगा। स्थानीय कवियों के अतिरिक्त और कौन-कौन से कवि आ रहे हैं? श्रद्धा जी को आमन्त्रित किया है या नहीं? यदि किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो मुझे अवश्य लिखें; मैं उसकी व्यवस्था कर लूगाँ। यहाँ पर सब कुशल मंगल है। आशा है कि आप भी स्वस्थ एवं आनन्दित होंगे।
आपका मित्र
धवल कुमार
उदाहरण 3)
सलाह सम्बन्धी पत्र
अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
21, जीवन छाया नगर,
आजादनगर ।
दिनांक 21-8-20xx
प्रिय साक्षी ,
ढेर सारा आशीर्वाद ।
आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी। प्रिय साक्षी , तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ है, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आज़ादी का तुम दुरुपयोग मत करना। जीवन में अनुशासन का काफी महत्व होता है। अनुशासित जीवन हमेशा आपको आगे बढ़ाने के लिए सहायक होते हैं। बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले। यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल पढ़ाई में लगाना| मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज़्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी। शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई,
अथर्व
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