top of page

स्वर्णकाकः Hindi Translation NCERT SHEMUSHI CLASS 9 Chapter 2


पुरा कस्मिंश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याः च एका दुहिता विनम्रा मनोहरा चासीत्  । एकदा  माता स्थाल्यां तण्डुलान् निक्षिप्य पुत्रीम्  आदिशत्। "सूर्यातपे  तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष।" किञ्चित् कालादनन्तरम्  एको विचित्रः काकः समुड्डीय तस्याः  समीपम् अगच्छत्।

हिंदी अर्थ -

प्राचीन समय में किसी गाँव में एक निर्धन (गरीब) बुढ़िया स्त्री रहती थी। उसकी एक नम्र स्वभाव वाली (सुशील) और सुंदर बेटी थी। एक बार माँ ने थाली में चावलों को रखकर पुत्री को आज्ञा दी-सूर्य की गर्मी (धूप) में चावलों की पक्षियों से रक्षा करो।कुछ समय बाद एक विचित्र कौआ उड़कर उसके समीप (वहाँ) आया।


नैतादृशः स्वर्णपक्षो रजतचञ्चुः स्वर्णकाकस्तया पूर्वं दृष्टः। तं तण्डुलान् खादन्तं हसन्तञ्च विलोक्य बालिका रोदितुमारब्धा। तं निवारयन्ती सा प्रार्थयत्- "तण्डुलान् मा भक्षय। मदीया माता अतीव निर्धना वर्तते।" स्वर्णपक्षः काकः प्रोवाच, "मा शुचः। सूर्योदयात्प्राग् ग्रामाद्बहिः पिप्पलवृक्षमनु त्वया आगन्तव्यम्। अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि।" प्रहर्षिता बालिका निद्रामपि न लेभे।

हिंदी अर्थ -

उसके द्वारा ऐसा सोने के पंखों वाला और चाँदी की चोंच वाला सोने का कौआ पहले नहीं देखा गया था। उसको चावल खाते हुए और हँसते हुए देखकर लड़की रोना शुरू कर दिया। उसको हटाते हुए उसने प्रार्थना की-चावलों को मत खाओ। मेरी माँ बहुत गरीब है। सोने के पंखों वाला कौआ बोला, शोक मत करो। तुम सूर्योदय से पहले गाँव के बाहर पीपल के वृक्ष के पीछे आना। मैं तुम्हें चावलों का मूल्य (कीमत) दे दूंगा। प्रसन्नता से भरी लड़की नींद भी नहीं ले पाई अर्थात् सो भी न सकी।


सूर्योदयात्पूर्वमेव सा तत्रोपस्थिता। वृक्षस्योपरि विलोक्य सा च आश्चर्यचकिता सञ्जाता यत् तत्र स्वर्णमयः प्रासादो वर्तते। यदा काकः शयित्वा प्रबुद्धस्तदा तेन स्वर्णगवाक्षात्कथितं "हंहो बाले! त्वमागता, तिष्ठ, अहं त्वत्कृते सोपानमवतारयामि, तत्कथय स्वर्णमयं रजतमयम् ताम्रमयं वा"? कन्या अवदत् "अहं निर्धनमातुः दुहिता अस्मि। ताम्रसोपानेनैव् आगमिष्यामि।" परं स्वर्णसोपानेन सा स्वर्ण- भवनम् आरोहत।

हिंदी अर्थ -

सूर्योदय से पहले ही वह (लड़की) वहाँ पहुँच गई। वृक्ष के ऊपर देखकर वह आश्चर्यचकित हो गई वि

है। जब कौआ सोकर उठा तब उसने सोने की खिड़की से झाँककर कहा-अरे बालिका। तुम आ गई, ठहरो

उतारता हूँ, बताओ तो सोने की, चाँदी की अथवा ताँबे की, (किसकी उतारूँ)? कन्या बोली-मैं निर्धन (गरीब

की सीढ़ी से ही आऊँगी। परंतु वह सोने की सीढ़ी से स्वर्णभवन में पहुंची।


चिरकालं भवने चित्रविचित्रवस्तूनि सजजितानि दृष्ट्वा सा विस्मयं गता। श्रान्तां तां विलोक्य काकः अवदत्-"पूर्वं लघुप्रातराशः क्रियताम्-वद त्वं स्वर्णस्थाल्यां भोजनं करिष्यसि किं वा रजतस्थाल्याम् उत ताम्रस्थाल्याम्"? बालिका अवदत्- ताम्रस्थाल्याम् एव अहं - "निर्धना भोजनं करिष्यामि।" तदा सा आश्चर्यचकिता सञ्जाता यदा स्वर्णकाकेन स्वर्णस्थाल्यां भोजनं "परिवेषितम्।" न एतादृशम् स्वादु भोजनमद्यावधि बालिका खादितवती। काकोऽवदत्- बालिके! अहमिच्छामि यत् त्वम् सर्वदा अत्रैव तिष्ठ परं तव माता तु एकाकिनी वर्तते। अतः "त्वं शीघ्रमेव स्वगृृहं गच्छ।"

हिंदी अर्थ -

बहुत देर तक भवन में चित्रविचित्र (अनोखी) वस्तुओं को सजा हुआ देखकर वह हैरान हो गई। उसको थकी हुई देखकर कौआ बोला-पहले थोड़ा नाश्ता कर लो-बोलो, तुम सोने की थाली में भोजन करोगी, अथवा चाँदी की थाली में या ताँबे की थाली में?

लड़की बोली- मैं गरीब ताँबे की थाली में ही भोजन करूँगी। तब वह कन्या और भी आश्चर्यचकित हो गई, जब सोने के कौवे ने सोने की थाली में (उसे) भोजन परोसा। आज तक उस लड़की ने ऐसा स्वादिष्ट भोजन नहीं खाया था। कौआ बोला- हे बालिका (लड़की) ! मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा यही रहो, परंतु तुम्हारी माँ अकेली है। तुम जल्दी ही अपने घर को जाओ।


इत्युक्त्वा काकः कक्षाभ्यन्तरात् तिस्रः मञ्जूषाः निस्सार्य तां प्रत्यवदत्- "बालिके! यथेच्छं गृहाण मञ्जूषामेकाम्।" लघुतमां मञ्जूषां प्रगृह्य बालिकया कथितम् इयत् एव मदीयतण्डुलानां मूल्यम्।

गृहमागत्य तया मञ्जूषा समुद्घाटिता, तस्यां महार्हाणि हीरकाणि विलोक्य सा प्रहर्षिता तद्दिनाद्धनिका च सञ्जाता।

हिंदी अर्थ -

ऐसा कहकर कौए ने कमरे के अंदर से तीन बक्से निकालकर उससे कहा- हे कन्या! अपनी इच्छा से एक बक्सा ले लो।

सबसे छोटा बक्सा लेकर लड़की ने कहा-यही मेरे चावलों की कीमत है।

घर आकर उसने बक्सा खोला, तो उसमें बहुत कीमती (मूल्यवान) हीरों को देखकर वह बहुत खुश हुई और उसी दिन से वह धनी हो गई।


तस्मिन्नेव ग्रामे एका अपरा लुब्धा वृद्धा न्यवसत्। तस्या अपि एका पुत्री आसीत्। ईर्ष्यया सा तस्य स्वर्णकाकस्य रहस्यम् ज्ञातवती। सूर्यातपे तण्डुलान् निक्षिप्य तयापि स्वसुता रक्षार्थं नियुक्ता। तथैव स्वर्णपक्षः काकः तण्डुलान् भक्षयन् तामपि तत्रैवाकारयत्। प्रातस्तत्र गत्वा सा काकं निर्भर्त्सयन्ती प्रावोचत्-"भो नीचकाक! अहमागता, मह्यं तण्डुलमूल्यं प्रयच्छ।" काकोऽब्रवीत्-"अहं त्वत्कृते सोपानम् अवतारयामि। तत्कथय स्वर्णमयं रजतमयं ताम्रमयं वा।" गर्वितया बालिकया प्रोक्तम्-"स्वर्णमयेन सोपानेन अहम् आगच्छामि।" परं स्वर्णकाकस्तत्कृते ताम्रमयं सोपानमेव प्रायच्छत्। स्वर्णकाकस्तां भोजनमपि ताम्रभाजने एव अकारयत्।

हिंदी अर्थ -

उसी गाँव में एक दूसरी लालची बुढ़िया स्त्री रहती थी। उसकी भी एक बेटी थी। ईर्ष्या वश उसने उस सोने के कौए का रहस्य जान लिया। सूर्य की धूप में चावलों को रखकर (फैलाकर) उसने भी अपनी बेटी को उसकी रक्षा के लिए बिठा (नियुक्त कर) दिया। वैसे ही सोने के पंख वाले कौए ने चावलों को खाते हुए उसको (लड़की को) भी वहीं बुलाया। सुबह वहाँ जाकर वह कौए को

बुरा-भला कहती हुई बोली-हे नीच कौए! मैं आ गई हूँ, मुझे चावलों का मूल्य दो। कौआ बोला- मैं तुम्हारे लिए सीढ़ी उतारता हूँ। तो कहो (बताओ) सोने से बनी हुई, चाँदी से बनी हुई अथवा ताँबे से बनी हुई? घमंडी लड़की बोली- मैं सोने से बनी हुई सीढ़ी से आती हूँ (आऊँगी) परंतु सोने के कौए ने उसे ताँबे से बनी हुई सीढ़ी ही दी। सोने के कौए ने उसे भोजन भी ताँबे के बर्तन में ही कराया ।


प्रतिनिवृत्तिकाले स्वर्णकाकेन कक्षाभ्यन्तरात् तिस्रः मञ्जूषाः तत्पुरः समुत्क्षिप्ताः। लोभाविष्टा सा बृहत्तमां मञ्जूषां गृहीतवती। गृहमागत्य सा तर्षिता यावद् मञ्जूषामुद्घाटयति तावत् तस्यां भीषणः कृष्णसर्पो विलोकितः। लुब्धया बालिकया लोभस्य फलं प्राप्तम्। तदनन्तरं सा लोभं पर्यत्यजत्।

हिंदी अर्थ -

वापस लौटते समय सोने के कौए ने कमरे के अंदर से तीन पेटियाँ (संदूक) उसके सामने रख दीं। उस लालची (लड़की) ने सबसे बड़ी पेटी (संदूक) ले ली। घर आकर वह व्याकुल (लड़की) जब संदूक खोलती है, तो उसने भयानक काला साँप देखा। लालची लड़की को लालच का फल मिल गया। उसके बाद उसने लालच छोड़ दिया।







Recent Posts

See All

एक फूल की चाह, Class 9, Ek Phool Ki Chah

प्रश्न-अभ्यास 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए– (क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है– (i) सुखिया...

गीत-अगीत ,Class 9,Geet Ageet

प्रश्न-अभ्यास 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए– (क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित...

अग्नि पथ, Class 9, Agni Path

प्रश्न-अभ्यास 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए– (क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है? उत्तर) कवि ने ‘अग्नि पथ’...

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating

Top Stories

bottom of page